सिनेमा टोक भाग-14, DDLJ भाग-3, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022 भाग-28
सिनेमा टोक भाग-14, DDLJ भाग-3, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022
भाग-28
Dilwale Dulhaniya Le Jayenge भाग-3
हेल्लो लेखनी,
पिछले दो भाग में हमने कुछ कलाकारों के बारे
में और फिल्म के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त की| आज हम फिल्म के बारे में कुछ और जानकारी
प्राप्त करेंगे और फिल्म की मुख्य अभिनेत्री ‘सिमरन’ यानी काजोल के बारे में
जानकारी लेंगे|
तो आइये मिलते है चुलबुली ‘काजोल’ से|
काजोल : जन्म: 5 अगस्त 1974 बोम्बे महाराष्ट्र (हाल आयु: 48 साल)
माता: तनुजा (नूतन की छोटी बहन और हाथी मेरे
साथी की मुख्य अभिनेत्री),
पिता :शोमू
मुखर्जी (फिल्म राइटर, प्रोड्युसर और
डायरेक्टर), छोटी बहन : तनिषा
(सुपर फ्लॉप ऐक्ट्रेस)
काजोल के पतिदेव: अजय देवगन और दो बच्चे: बेटी
न्यासा और बेटा युग|
अगर आप कोई सिनेमागृह में गये हो और वहा फिल्म
शुरू होने से पहले एन.वाय. सिनेमा का विज्ञापन देखा हो तो वो एन.वाय. सिनेमा पुरे
भारतभर में कुछ सालो के लिए अजय देवगन और काजोल ने रेन्ट पर ले लिए है| एन.वाय. नाम अपने बेटी और
बेटे के नाम के पहले अक्षर से लिया गया है....एन. मतलब न्यासा और वाय मतलब युग|
इस का अर्थ ये होता है की कोई भी फिल्म एन.वाय.
फ्रेन्चाइजी के कोई भी सिनेमागृह में चलाई जायेगी उस का पैसा....मतलब हम जो फिल्म
की टिकेट्स के पैसे खर्च करते है वो डायरेक्ट एन.वाय. के खाते में जाते है|
चलिये अब बात करते है काजोल की मेटरनल फेमिली
के बारे में| काजोल की माता
तनुजा एक प्रख्यात अभिनेत्री रह चुकी है| तनुजा की बड़ी बहन नूतन उस से भी बेहतरीन अभिनेत्री रह चुकी
है| काजोल की नानीमा
शोभना समर्थ भी एक प्रख्यात अभिनेत्री रह चुकी है|बहुत सी फिल्मो में धार्मिक किरदार और मा का
रोल उन्होंने निभाया था|
समर्थ परिवार एक मराठी चंद्रसेनिया कायस्थ
प्रभु (CKP) परिवार है।
फिल्मों में उनकी विरासत की शुरुआत एक मराठी फिल्म में अभिनय करने वाली अभिनेत्री
रतन बाई से हुई। उनकी बेटी शोभना समर्थ (1916-2000), एक अभिनेत्री थीं और सीता के रूप में राम राज्य
(1943) जैसी फिल्मों में
दिखाई दीं। बाद में उन्होंने लव इन शिमला (1960) जैसी फिल्मों में सहायक भूमिका निभाई, जिसमें जॉय मुखर्जी भी
थे। शोभना के पति फिल्म निर्देशक कुमारसेन समर्थ थे, उनकी चचेरी बहन नलिनी जयवंत भी एक अभिनेत्री
थीं।
शोभना की बेटियां चतुरा, तनुजा और नूतन हैं। तनुजा
और नूतन ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया। तनुजा उतनी सफलता नहीं मिली जितनी
नूतन को मिली (1936-1991)
जो एक बहुत बड़ी
स्टार बन गई। वह अपनी भतीजी काजोल के साथ सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए जीते गए
सबसे अधिक फिल्मफेयर पुरस्कारों का रिकॉर्ड रखती हैं।
तनुजा और नूतन के बच्चों ने भी फिल्म उद्योग
में किया प्रवेश |वे ऐसा करने वाले
समर्थ की चौथी पीढ़ी हैं। नूतन के बेटे मोहनीश बहल एक अभिनेता हैं। मोहनीश की बेटी
प्रनूतन बहल भी एक अभिनेत्री हैं; तनुजा और शोमू मुखर्जी की बेटियां काजोल और तनीषा एक्ट्रेस
हैं।
अब बात करेंगे काजोल की पेटरनल फेमिली के बारे
में|
ऊपर लिख चुका हु की काजोल के पिताश्री शोमू
मुखर्जी एक प्रख्यात स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे|
परिवार का मुखर्जी पक्ष एक बंगाली हिंदू कुलिन
ब्राह्मण परिवार है, जिसका नेतृत्व
शशधर मुखर्जी करते हैं, जो फिल्मालय
स्टूडियो के संस्थापक थे। शशधर की शादी अशोक कुमार, अनूप कुमार और गायक किशोरकुमार की बहन सतीरानी
गांगुली से हुई थी। उनके पांच बेटे, रोनो मुखर्जी, जॉय मुखर्जी, देब मुखर्जी, शोमू मुखर्जी और शुबीर मुखर्जी ने फिल्म उद्योग में उनका
अनुसरण किया। रोनो एक ही फिल्म के निर्देशक और संगीतकार थे। वह अभिनेत्री ‘शरबानी
मुखर्जी’ (फिल्म बोर्डर के गीत ‘ए जाते हुवे लम्हों’ में सुनील शेट्टी के साथ उन
की पत्नी का छोटा किरदार निभाया था) के पिता भी हैं। जॉय और देब दोनों अभिनेता थे।
जिस में जॉय मुखर्जी काफी फेमस हुवे (लव इन टोक्यो, शागिर्द, दूर की आवाज...)| देब के बेटे डायरेक्टर अयान मुखर्जी हैं (जो प्रख्यात
डायरेक्टर है) और बेटी सुनीता की शादी डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर से हुई है (वो भी
प्रख्यात डायरेक्टर है जैसे ‘लगान’ फिल्म)। शोमू डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बने। वह
अभिनेत्री काजोल और तनीषा के पिता हैं। चंदना मुखर्जी अपने समय की विद्वान थीं। वह
सभी मुखर्जी बच्चों में सबसे बड़ी थीं। उन्होंने गुहा परिवार में शादी की, जो अपने समय के जमीनदार
थे। शुबीर प्रोड्यूसर भी हैं।
शशधर के बड़े भाई रवींद्रमोहन मुखर्जी थे। उनके
बेटे, राम मुखर्जी, एक फिल्म निर्देशक और
फिल्मालय स्टूडियो के संस्थापकों में से एक थे। 22 अक्टूबर 2017 को उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी कृष्णा मुखर्जी, अभिनेत्री रानी मुखर्जी
(जो आदित्य चोपरा की दूसरी पत्नी बन चुकी है), और राजा मुखर्जी जो एक निर्माता हैं, के साथ उनके दो बच्चे थे।
इस तरह काजोल और रानी मुखर्जी दोनों कजिन्स है|
शशधर के छोटे भाई, सुबोध मुखर्जी, एक निर्देशक थे। 21 मई 2005 को उनका निधन हो गया।
उनके परिवार में पत्नी कमला, बेटे सुभाष और संजय और बेटी गीतांजलि हैं।
फिल्मालाय स्टूडियो हाल में जीवित मुखर्जी
भाइयों के हाथो में है।
अब बाते करते है काजोल के ससुराल की| काजोल के पति अजय देवगन
जो फेमस फिल्म स्टार, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर है| काजोल के ससुरजी वीरू
देवगन फेमस स्टंट मास्टर और फाईट मास्टर और डायरेक्टर भी रह चुके है|
तो इस तरह फिल्म इंडस्ट्री के कालाकार, गायक, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर में से बहुत से
लोग, मतलब हर 100 में से आधे लोग काजोल की
फेमिली से जुड़े हुवे है|
काजोल के पिता शोमू मुखर्जी इतनी शराब पीते थे
की एक कमरे में अपने आप को बंध कर लेते थे| छोटी काजोल सर पटक पटक कर अपने पिता को मनाती रहती...लेकिन
उन के पिताजी की शराब नहीं छुटी| इसीलिए कहा जाता है की बचपन काजोल का इतना अच्छा नहीं रहा| क्युकी अपने पिता का वो
प्यार काजोल कभी नही पा सकी थी| काजोल कम उम्र में खुद को शरारती, जिद्दी और आवेगी बताती है
क्युकी उन के माता-पिता वो छोटी थी तब ही अलग हो गये| क्युकी काजोल को पता था
की बात क्या है और घर में भी कभी कोई जिक्र नहीं होता था तो काजोल को अपने पेरंट्स
का अलग होना कभी प्रभावित नहीं कर सका| काजोल की देखभाल उन की नानी करती थी जिन्होंने कभी काजोल को
कोई कमी महसूस नहीं होने दी| काजोल की मा ने उन्हें पहले से ही स्वन्त्रता की भावना के
साथ पाला था इसीलिए काजोल को महाराष्ट्रियन व्यवहारिकता और अपनी मा से और बंगाली
स्वभाव अपने पिता से विरासत में मिला है| इसीलिए परंपरा के अनुसार काजोल मुखर्जी परिवार के साथ एक हिन्दू की तरह हर साल सांताक्रुज में स्थित उपनगरीय
इलाके में दुर्गा पूजा उत्सव भी मनाती आई है|
काजोल ने पढ़ाई सेंट जोसेफ कोंवेंट स्कुल
पंचगीनी से ली है| पढ़ाई के अलावा
अन्य एक्टिविटी में भी भाग लिया|
पढ़ाई के दौरान काजोल की दिलचश्पी फिक्शन रीडिंग
में ज्यादा थी क्युकी वह उसे अपने बुरे जीवन से उभरने में काफी हेल्पफुल थी| नबे के दशक में तनूजा ने
एक फिल्म का निर्माण से काजोल को लौंच करना चाहा लेकिन कुछ ही दिनों की शूटिंग के
बाद वो बंध हो गया| आखिरकार 1992 में ही काजोल ने
‘बेखुदी’ फिल्म से बोलीवुड में प्रवेश किया| उस वक्त काजोल केवल 16 साल की थी| वो चाहती थी की यह फिल्म के बाद वो स्कूलिंग फिर से करेगी, लेकिन फिर पूर्णतः फ़िल्मी
केरीयर बनाने के लिए काजोल ने स्कुल छोड़ दी जिस का बाद में उसे पछतावा भी हुवा|
वैसे काजोल की पहली फिल्म ‘बेखुदी’ रिलीज हुई
तब वो 17 की हो चुकी थी
और यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई| लेकिन काजोल के काम की सराहना हुई| अगले ही वर्ष सस्पेंस
थ्रीलर के प्रख्यात डायरेक्टर जोड़ी अब्बास-मस्तान ने उसे फिल्म ‘बाजीगर’ के लिए
साइन कर लिया|
‘बाजीगर’ बोक्स ऑफिस अपर ब्लोक बस्टर साबित हुई....इतना ही
नहीं यह फिल्म हीरो शाहरुखखान की केवल दूसरी रिलीज फिल्म थी और शिल्पा शेट्टी की
पहली फिल्म| 1953 के अमरीकन
ड्रामा ‘सबरीना फेयर’ से यश चोपरा ने स्क्रिप्ट बनाई जो बोलीवुड फिल्म ‘यह
दिल्लगी’ बनी जिस में काजोल ने अक्षय कुमार और सैफ अलीखान के साथ काम किया और
काजोल इस फिल्म से यश चोपरा केम्प में हमेशा के लिये आ गई|
1998 में काजोल बोलीवुड की लीडिंग ऐक्ट्रेस बन गई कुयुकी उस साल
काजोल ने तीन ब्लोक बस्टर फिल्मे दी....’प्यार किया तो डरना क्या’, ‘प्यार तो होना ही था’ और
‘कुछ कुछ होता है’|
काजोल को आगे एक और फिल्म से नाम मिला जिस का
नाम था ‘दुश्मन’ जिस फिल्म से ‘आशुतोष राणा’ ने भी फ़िल्मी केरीयर शुरू किया था| ‘दुश्मन’ फिल्म में काजोल
ने डबल रोल्स किये थे|
‘दुश्मन’ फिल्म की कहानी ऐसी थी की हॉस्पिटल में एडमिट हुई
सोनिया के बलात्कार और मर्डर का बदला उस की बहन नैना लेती है इस कहानी पर फिल्म
बनी थी जिस में काजोल ने बेहतरीन अभिनय किया था|
इस ‘दुश्मन’ फिल्म से जुडी एक कहानी बताना
चाहूँगा......
‘दुश्मन’ फिल्म की कहानी सिर्फ कहानी नहीं है बल्की एक
वास्तविक घटना का फ़िल्मी रुपान्तरण है| इस वास्तविक घटना से गुजराती फेमस लेखक ‘हरकिशन मेहता’ ने
एक नावेल लिखी थी ‘जड़ चेतन’|
दोस्तों मुंबई में कई सालो पहले एक हादसा हुवा
था|
1973 में ‘अरुणा शानबाग’ नाम की एक नर्स
के साथ दर्दनाक हादसा हुवा था| वैसे सोशियल मीडिया के
होते हुवे 2012 का ‘निर्भया रेप’ काफी चर्चा में रहा है| लेकिन अरुणा शानबाग की कहानी पढिये....शायद कुछ वजह से वो
निर्भया रेप से कही ज्यादा है|
अरुणा शानबाग किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल, परेल, मुंबई में एक जूनियर नर्स
के रूप में काम कर रही थी,
तब शानबाग का एक
वार्ड बॉय, सोहनलाल भरथा
वाल्मीकि ने उन पर यौन हमला किया था और हमले के बाद अरुणा ‘कोमा’ में चली गई। 24 जनवरी 2011 को,
शानबाग के 37 साल तक इस अवस्था में
रहने के बाद, भारत के सर्वोच्च
न्यायालय ने पत्रकार पिंकी विरानी द्वारा दायर इच्छामृत्यु के लिए एक याचिका का
जवाब दिया, जिसमें उनकी जांच
के लिए एक मेडिकल पैनल का गठन किया गया था। अदालत ने 7 मार्च 2011 को याचिका खारिज कर दी।
हालाँकि, अपनी ऐतिहासिक
राय में, इसने भारत में
निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी।
लगभग 42 वर्षों तक लगातार कोमा में रहने के बाद, 18 मई 2015 को शानबाग की निमोनिया से मृत्यु हो गई।
वैसे ‘दुश्मन’ फिल्म की स्टोरी को रिवेन्ज
स्टोरी में बदल दिया गया था लेकिन वास्तविक वार्ता यही है और काजोल ने दोनों बहनों
के रोल्स में काफी अच्छा परफोर्मन्स दिया था|
फिल्म ‘हलचल’ 1999 के सेट पर काजोल पहली बार ‘अजय देवगन’ से मिली| पहले तो उसे बहुत बुरा
गला की ये कौन पतला सा नवयुवान है जो शूटिंग के दौरान खामोश ज्यादा रहता है जब की
काजोल का मुह 1 सेकण्ड के लिए
बंध नहीं रहता| लेकिन कहते है की
बोलीवुड में सब से नशीली आखे अगर कोई हीरो की है तो वो है ‘अजय देवगन’ (ये बात
कपिल शर्मा शो में बताई गई है...बोले तो नशीली आखोवाली बात) औ काजोल को लगा की अगर
कोई उस के जीवन में है वो बस अजय ही है और दोनों ने सादगी के साथ शादी कर ली|
काजोल ने 1994 में फिल्म ‘गुंडाराज’ की शूटिंग के दौरान अभिनेता अजय
देवगन को डेट करना शुरू किया। हालांकि, मीडिया के सदस्यों ने उनके विपरीत व्यक्तित्व के कारण
उन्हें "असंभावित जोड़ी" के रूप में लेबल किया। अजय ने अपने रिश्ते को
यह कहकर समझाया, "हमने कभी भी
सामान्य 'आई लव यू' रूटीन का सहारा नहीं
लिया। एक प्रस्ताव कभी नहीं हुआ। हम एक-दूसरे के साथ बढ़े। शादी पर कभी चर्चा नहीं
हुई, लेकिन यह हमेशा
आसन्न था।" इस जोड़े ने 24 फरवरी 1999 को देवगन के घर पर पारंपरिक महाराष्ट्रीयन समारोह में शादी
की। शादी व्यापक मीडिया जांच के अधीन थी, क्योंकि मीडिया के कुछ सदस्यों ने काजोल के अपने करियर के
शिखर पर बसने के फैसले की आलोचना की थी। हालांकि, काजोल ने कहा कि वह फिल्में नहीं छोड़ेंगी, लेकिन अपने काम की मात्रा
में कटौती करेंगी।
अपनी शादी के बाद, काजोल देवगन और उनके
माता-पिता के साथ जुहू में उनके पैतृक घर में रहने लगी। टैब्लॉयड्स ने अक्सर देवगन
को अन्य बॉलीवुड अभिनेत्रियों के साथ रोमांटिक रूप से जोड़ा है, और तलाक की सूचना दी है।
अफवाहों को गपशप के रूप में खारिज करते हुए, काजोल ने इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देने की पुष्टि की।
काजोल अपने निजी जीवन के बारे में ज्यादा बात नहीं करना पसंद करती हैं और
साक्षात्कार को नापसंद करती हैं, इसे "समय की बर्बादी" मानते हुए।उन्होंने 20 अप्रैल 2003 को एक बेटी न्यासा को
जन्म दिया। सात साल बाद,
13 सितंबर 2010 को, उन्होंने एक बेटे युग को
जन्म दिया, उन्होंने मातृत्व
को "फैब" के रूप में वर्णित किया और कहा कि उनके बच्चे "उनमें
सर्वश्रेष्ठ" लेकर आए हैं। काजोल ने 2015 से देवगन को अपने उपनाम के रूप में इस्तेमाल किया है। वह
अंग्रेजी, हिंदी और मराठी
बोलती है, और "बंगाली
समझ सकती है"
कुछ साल काम करने के बाद काजोल ने फेमिली के
लिए 5 साल ब्रेक लिया
और फिर से शाहरुख खान के साथ ‘दिलवाले’ फिल्म से बोलीवुड में कम बेक किया है|
काजोल को लगातार पांच वर्षों (1995-1999) के लिए बॉक्स ऑफिस इंडिया
की "शीर्ष अभिनेत्रियों" में सूचीबद्ध किया गया था, जो 1998 में सूची में सबसे ऊपर
थी। 2001 और 2006 में, काजोल Rediff.com की वार्षिक "शीर्ष
बॉलीवुड अभिनेत्रियों" की सूची में शामिल हुईं।Rediff.com ने उन्हें अन्य सूचियों
में भी शामिल किया: "सर्वश्रेष्ठ बॉलीवुड अभिनेत्रियाँ", "सर्वश्रेष्ठ पोशाक वाली
महिला" और "2000-2010 की शीर्ष 10 अभिनेत्रियाँ"। 2008 में आउटलुक द्वारा कराए
गए एक सर्वेक्षण में वह "सर्वकालिक पसंदीदा महिला कलाकार" के रूप में
पांचवें स्थान पर पहुंच गईं। 2012 में, काजोल को NDTV द्वारा "द मोस्ट पॉपुलर एक्ट्रेस ऑफ़ ऑल टाइम" की
सूची में माधुरी दीक्षित,
श्रीदेवी और मीना
कुमारी, और Yahoo! उन्हें "हिंदी
सिनेमा की दस सबसे प्रतिष्ठित सुंदरियों में से एक" के रूप में चित्रित किया।
काजोल को फोर्ब्स इंडिया की "सेलिब्रिटी 100" में शामिल किया गया था, जो 2012, 2013 और 2017 में भारत की मशहूर
हस्तियों की आय और लोकप्रियता पर आधारित एक सूची है।
2002 में, काजोल को मुंबई प्रदेश युवा कांग्रेस द्वारा राजीव गांधी
पुरस्कार प्रदान किया गया। वह प्रियंका चोपड़ा, ऋतिक रोशन और शाहरुख खान के साथ चार बॉलीवुड अभिनेताओं में
से एक थीं, जिनकी लघु
गुड़िया 2006 में
"बॉलीवुड लीजेंड्स" के नाम से यूनाइटेड किंगडम में लॉन्च की गई थी।
काजोल और खान NASDAQ द्वारा अपनी
फिल्म माई नेम इज खान (2010)
के प्रचार के लिए
NYSE अमेरिकन खोलने के
लिए आमंत्रित किए जानी वाली पहली भारतीय अभिनेत्री भी बनी। अगले वर्ष, भारत सरकार ने उन्हें
भारत के सिनेमा में उनके योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म
श्री से सम्मानित किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें
स्वाभिमानी मुंबईकर पुरस्कार से सम्मानित किया। काजोल ने 2018 में लंदन के मैडम तुसाद
संग्रहालय में अपनी मोम की प्रतिमा का अनावरण किया।
काजोल ने निम्नलिखित फिल्म फेयर पुरस्कार पाये
है
1996- फिल्मफेयर बेस्ट ऐक्ट्रेस अवार्ड- फिल्म
‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’|
1998- फिल्मफेयर बेस्ट विलेन अवार्ड- फिल्म ‘गुप्त- ध
हिडन ट्रुथ’|
1999- फिल्मफेयर बेस्ट ऐक्ट्रेस अवार्ड- फिल्म ‘कुछ
कुछ होता है’|
2007- फिल्मफेयर बेस्ट ऐक्ट्रेस अवार्ड- फिल्म ‘फना’|
2011- फिल्मफेयर बेस्ट ऐक्ट्रेस अवार्ड- फिल्म ‘माय
नेम इज खान’|
इस के अलावा काजोल ने बंगाली फिल्म जर्नालिस्ट
एसोशियेशन अवार्ड 1995 में बेस्ट
ऐक्ट्रेस का एवार्ड फिल्म ‘उधार की जिन्दगी’ के लिए जीता था|
स्क्रीन एवार्ड में काजोल ने कुल 6 एवार्ड जीते है
1999 में फिल्म ‘दुश्मन’ के लिए बेस्ट ऐक्ट्रेस|
2002 में फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में बेस्ट ऐक्ट्रेस |
2002 में फिल्म जोड़ी नंबर वन विथ शाहरुख खान फिल्म ‘कभी खुशी
कभी गम’’|
2010 में बेस्ट जोड़ी विथ शाहरुख खान फॉर 10 ईयर्स बेस्ट जोड़ी
2015 में मराठी फिल्म ‘विट्टी दांडू’ के लिए बेस्ट फिल्म का
एवार्ड|
2016 में बेस्ट जोड़ी विथ शाहरुख खान फिल्म ‘दिलवाले’ के लिए|
स्टारडस्ट एवार्ड में काजोल ने 1 एवार्ड फिल्म माय नेम इज
खान’ के लिए एक्टर ऑफ़ ध एयर फॉर फीमेल एवार्ड जीता है|
झी-साइन एवार्ड में कुल 4 एवार्ड काजोल ने जीते है|
1998 में फिल्म गुप्त के लिए बेस्ट परफोर्मन्स इन नेगेटिव रोल |
1999 में फ़िल्म ‘कुछ कुछ भोता है’ के लिए बेस्ट एक्टर फीमेल|
2002 में फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में आउट स्टेंडिंग परफोर्मन्स
और बेस्ट एक्टर फीमेल एवार्ड|
2007 में फिल्म ‘फना’ के लिए बेस्ट एक्टर इन फीमेल|
2011 में भारत सरकार ने काजोल को ‘पद्म्श्री’ एस नवाजा है|
काजोल बेशक एक बेहतरीन ऐक्ट्रेस साबित हो चुकी
है| लेकिन मेरी नजरो
से देखे तो काजोल में कोई एक्टिंग पावर नहीं है|मुझे उस का सब से अच्छा परफोर्मन्स ‘कभी खुशी
कभी गम’ में लगता है| बाकी कोई भी
फिल्म काजोल की हो.... दूर दूर तक कोई एक्टिंग नहीं दिखी|
फिल्म की स्क्रिप्ट:
चांदनी (1989), लम्हे (1991) और डर (1993) के निर्माण के दौरान आदित्य चोपड़ा ने अपने
पिता, निर्देशक और
निर्माता यश चोपड़ा की सहायता की। इस समय के दौरान, आदित्य ने अपनी खुद की कई पटकथाएं लिखीं, जिनमें से एक को उन्होंने
मान लिया था कि यह उनकी पहली फिल्म होगी, लेकिन अंततः उनकी दूसरी, मोहब्बतें (2000) बन गई। तीन साल तक, उन्होंने ‘दिलवाले
दुल्हनिया ले जाएंगे’ उस कहानी पर काम किया जो इसे निर्देशित करने के लिए अपने
पिता से संपर्क करने से पहले । यश नहीं चाहता था और उसने आदित्य को खुद ऐसा करने
के लिए मनाने की कोशिश की। जब वे स्क्रिप्ट के लिए विचारों पर चर्चा कर रहे थे, आदित्य ने इस धारणा की
कल्पना की कि राज सिमरन के कठोर पिता से शादी के लिए अनुमति मांगेगा, न कि उसके साथ भाग जाने
के। इसके बाद वह खुद फिल्म के निर्देशन की संभावना को लेकर उत्साहित हो गए। अपनी
मां के बाद, पार्श्व गायिका
पामेला चोपड़ा ने इस बात पर सहमति जताई कि यह विचार सही था, उन्होंने इसे अपना
निर्देशन शुरू करने का फैसला किया। आदित्य एक ऐसी हेल्दी फिल्म बनाना चाहते थे, जिसे लोग बार-बार देख
सकें। वह उस समय की विशिष्ट कथानक रेखा से अलग होना चाहता था, जिसमें प्रेमी भाग जाते
हैं जब उनके माता-पिता आपत्ति करते हैं, और दिखाते हैं कि यदि उनका प्यार काफी मजबूत था, तो माता-पिता अंततः समझ
जाएंगे
मई 1994 में, आदित्य ने यशराज फिल्म्स प्रोडक्शन टीम के कई सदस्यों को
पटकथा का पहला मसौदा पढ़ा,
जिसमें उनके साथ
काम करने के लिए एक छायाकार, एक कला निर्देशक और एक संवाद लेखक शामिल थे। वे प्रभावित
नहीं हुए, लेकिन आदित्य
अपने विचारों पर अडिग रहे। उनके पिता, निर्माता द्वारा उन्हें पूर्ण संपादकीय नियंत्रण दिया गया
था, और फिल्म को अपने
स्वाद और संवेदनशीलता के अनुसार बनाया था। आदित्य ने संवाद लेखक जावेद सिद्दीकी और
गीत गीतकार आनंद बख्शी दोनों के साथ "युवा-साउंडिंग" शब्दों को विकसित
करने के लिए संघर्ष किया। अंतिम स्क्रिप्ट पर क्रेडिट लिखने को लेकर व्यक्तिगत
झड़पें हुईं। पामेला की दोस्त हनी ईरानी का मानना था कि वह एक लिखित क्रेडिट की
हकदार थी जो उसे नहीं मिली,
और सिद्दीकी का
मानना था कि आदित्य संवाद के लिए आंशिक श्रेय के लायक नहीं थे। दिलवाले दुल्हनिया
ले जाएंगे के बाद, दोनों में से
किसी ने भी फिर कभी यशराज फिल्म्स के साथ काम नहीं किया। पटकथा को मंजूरी देने के
बाद, यश से गानों के
बारे में सलाह ली गई, लेकिन ज्यादातर
रचनात्मक प्रक्रिया अपने बेटे पर छोड़ दी, और दृढ़ता से इनकार किया कि वह इस परियोजना पर एक भूत
निर्देशक थे। उन्होंने एक भी फ्रेम शूट नहीं किया, और फिल्म के कुछ हिस्सों को तब तक नहीं देखा जब
तक कि यह लगभग पूरा नहीं हो गया।
कास्टिंग:
आदित्य मूल रूप से चाहते थे कि फिल्म एक भारतीय
और एक अमेरिकी के बीच के रिश्ते के बारे में हो। वह विख्यात होलीवुड हीरो ‘टॉम
क्रूज़’ को ‘राज’ की भूमिका के लिए चाहते थे, लेकिन यश ने उन्हें मना कर दिया, जो एक विदेशी स्टार का
उपयोग नहीं करना चाहते थे। उन्होंने तय किया कि उनके पात्र अनिवासी भारतीय
(एनआरआई) होंगे। आदित्य ने राज की भूमिका निभाने के लिए शाहरुख खान से संपर्क
किया। भूमिका की रोमांटिक प्रकृति के कारण शुरू में शाहरुख की दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि उन्हें खलनायक की
भूमिकाएँ (डर, बाजीगर) निभाने में सफलता मिली थी। आदित्य ने तब सैफ अली खान को
मुख्य भूमिका निभाने के लिए कहा क्योंकि उन्हें शाहरुख को इसे करने के लिए मनाने
में समस्या हो रही थी। सैफ ने अज्ञात कारणों से मना कर दिया, जैसा कि आमिर खान ने भी
इनकार कर दिया, जिसके कारण
आदित्य ने शाहरुख का पीछा करना जारी रखा। आदित्य और शाहरुख की कई हफ्तों में चार
बैठकें हुईं; उन्होंने अंततः
शाहरुख को यह कहकर राजी कर लिया कि वह कभी भी सुपरस्टार नहीं बन सकते जब तक कि वह
"हर महिला के सपनों का आदमी, और हर माँ के सपनों का बेटा" नहीं बन जाते। तब से, शाहरुख ने इस फिल्म के
साथ उन्हें एक स्टार बनाने में मदद करने के लिए आदित्य का आभार व्यक्त किया
है। शाहरुख ने कहा कि साथी अभिनेता सलमान
खान ने भी उन्हें इस भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया, यह कहते हुए कि उन्हें लगा
कि फिल्म बहुत सफल होगी। शाहरुख ने फिल्म
की पटकथा में गौरी खान की शादी से पहले के अपने संबंधों के समान समानताएं भी नोट
की हैं
सिमरन का किरदार निभाने के लिए काजोल पहली पसंद
थीं, जिस पर वह जल्दी
से राजी हो गईं। उन्होंने और शाहरुख ने पहले सफल फिल्मों बाजीगर (1993) और करण अर्जुन (1995) में साथ काम किया था।
काजोल ने कहा कि उनके लिए उनके किरदार से जुड़ना बहुत मुश्किल था, जबकि शाहरुख ने कहा कि
राज का व्यक्तित्व उनसे काफी मिलता-जुलता था। अभिनेता राज कपूर के प्रति उनकी
प्रशंसा के आधार पर आदित्य ने चरित्र के लिए राज नाम और उनके द्वारा निभाए गए
मेन्डोलिन को चुना। एक सफल स्क्रीन टेस्ट के बाद, परमीत सेठी को कुलजीत सिंह की भूमिका के लिए
अरमान कोहली की जगह चुना गया। अपने सहायक निर्देशक समीर शर्मा के अलावा, आदित्य ने दो अतिरिक्त
सहायक, उनके भाई उदय
चोपड़ा और उनके चचेरे भाई करण जौहर के लिए कहा। जौहर ने फिल्म में राज के दोस्त के
रूप में एक छोटी सी भूमिका भी निभाई। शर्मिष्ठा रॉय फिल्म के कला निर्देशक थे और
मनीष मल्होत्रा इसके कॉस्ट्यूम डिजाइनर थे। जहां मल्होत्रा के पास कई नए विचार थे, वहीं आदित्य कपड़ों की
शैली को सरल रखना चाहते थे;
वह नहीं चाहते थे
कि यह कहानी से विचलित हो। इसके बावजूद, मल्होत्रा ने "मेहंदी लगा के रखना" गाने में
सिमरन के हरे रंग की पोशाक पहनने के विचार के लिए जिम्मेदार था, जो एक पंजाबी दुल्हन के
लिए एक असामान्य रंग था।
बस आज के लिए इतना ही....दोस्तों सभी को दिवाली
और नए साल की सुभकामनाओ के साथ आप सब के जीवन के खुशी ही खुशी आये, नए वर्ष में आप सब के हर सपने हकीकत में बदले यही इश्वर से
प्रार्थनाओं के साथ.....मिलेंगे ‘डीडीएलजे’ के अगले भाग
में...|
# नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022
भाग-28
Alka jain
13-Nov-2022 10:30 AM
Nice
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PHOENIX
13-Nov-2022 08:52 PM
thanks
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Sandhya Prakash
05-Nov-2022 11:59 PM
गुड नॉलेज
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PHOENIX
06-Nov-2022 12:40 PM
Thanks
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Sameer khan
25-Oct-2022 11:48 AM
Happy Diwali
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PHOENIX
25-Oct-2022 11:52 AM
Happy diwali dear....and thanks for comment....welcome to Cinema Talk..
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